Hindi poem: स्याह जब सहरे-शहर लगेगी…
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1 min readJun 30, 2018
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स्याह जब सहरे-शहर लगेगी,
गाँव की तरफ ही नजर लगेगी।
हम भी लौट जाएंगे यहां से,
मुश्किल जब यहां बसर लगेगी।
क्यों जाता है वो जंगल के रास्ते,
क्या कोई खजाने की खबर लगेगी?
हमको तो सदा सूरज ने देखा है,
हमें भला किसकी नजर लगेगी।
यहां से चलते है 'राजू' कि यहां तो,
पहरेदारी हर पहर लगेगी।
Originally published at rrnehra.blogspot.com on July 21, 2013.