My Crazy Kavita: सर्दी आई और जुकाम आ गया…
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एक कवी का सर्दियों के मौसम से गहरा ताल्लुक है, वैसे ही जैसे उसका चन्द्रमा अथवा प्रेयसी से है. क्योंकि सर्दियों की रातें लम्बी होती है, लम्बी नदी की तरह, जिसमें कवी की कल्पनाएं गोते लगा सकती है… दूर तलक… देर तलक…
कवी की कल्पनाओं की अग्नि में घी का काम करती है उसकी गरम रजाई. जिसमें उसे और भी ज्यादा खूबसूरत विचार आते हैं. और फिर वो खूबसूरत विचार ढलते हैं एक प्यारी सी प्रेम कविता में. मगर कवी भी तो एक साधारण मनुष्य है और जुकाम तो उसे भी लगती है. उस परिस्तिथि में भी जन्म तो कविता का ही होना है. आखिर एक कवी को जुकाम लगी है भाई.
तो आनन्द लीजिए ऐसी ही एक कविता का…
आज फिर वही मुकाम आ गया,
सर्दी आई और जुकाम आ गया.
चन्दन का लेप होता था कल तक,
आज माथे पर झंडू बाम आ गया.
सुबह ठण्डा पानी देखकर राजू,
जुबान पर राम का नाम आ गया.
आज मेरी किस्मत क्या कहूं दोस्तों,
अच्छा स्वेटर सस्ते दाम आ गया.
Originally published at rrnehra.blogspot.com on December 22, 2014.