Poetry With Tea: लेते हैं चाय का मजा शाम को…
International Tea Day
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तुम भी घर से निकलना शाम को,
ज़रा खुली हवा से मिलना शाम को.
सावन का महीना है मेरे दोस्त!
हमको भाता है टहलना शाम को.
दिनभर तेरा इंतजार किया,
बरसेगी अब घटा शाम को.
लगता है परीक्षाओं के दिन हैं,
वरना तो होता है हंगामा शाम को.
आइए राजू ! तनिक बैठिए भी,
लेते हैं चाय का मजा शाम को.
हालाँकि ये सावन का महिना नहीं है, लेकिन फिर भी ये पुरानी कविता मैंने साझा की है क्यों कि अंतर्राष्ट्रीय चाय दिवस के मौके पर खुद को रोक नहीं पाया.
Originally published to my blog on August 8, 2014. View original post.