कोरोना काल में माननीयों ने आपकी मदद के लिए क्या किया?

Satyampandey
Nukkad Corner
Published in
8 min readMay 27, 2021

चुनावी सरगर्मी तेज होते ही जमीन पर नेता जी दिखाई देने लगते हैं। जैसे ही चुनाव खत्म पांच सालों के लिए नेता जी सरकार द्वारा मिले बंगले में आराम फरमाते हैं। चुनाव में नेता जी इतने थक जाते हैं कि पांच साल लग जाते हैं इन्हें थकान मिटाने में। अभी थकान पूरी तरह मिट भी नहीं पाती है कि इन्हें फिर से चुनाव की तैयारियों में लगना पड़ जाता है। बेचारे, नेता जी की जिंदगी कितनी कष्टमय है इनके पास जनता के लिए फुर्सत ही नहीं होता है। चुनाव आते ही जनता ऐसी याद आती है जैसे कितने सालों के बिछड़े लोग मिल रहे हों।

बिहार में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने चारों तरफ मातम पसार दिया था। आप ऑक्सीजन, बेड, वेंटिलेटर, रेमडेसिविर, आईसीयू, एंबुलेंस और दवाईयों के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे थे। तब कहां थे आपके वे प्रतिनिधि? आपको ये भी नहीं पता होगा कि कौन कहां था और आपके लिए किसने क्या किया? इस आलेख में आपको आपके माननीय द्वारा आपके लिए किए गए कार्यों के बारे में हम बताएंगे। जिसके तथ्य दैनिक भास्कर द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट से लिये गए हैं।

Source — TheIndianExpress

दशकों से देश में किसी भी गठबंधन की सरकार हो, जब तक बिहार के सांसद मंत्री नहीं बनेंगे तब तक कैबिनेट पूरा ही नहीं होता है। बिहार में 40 सांसद हैं। जिनमें से भारतीय जनता पार्टी के 17, जनता दल(यूनाइटेड) के 16, लोक जनशक्ति पार्टी के 6 और कांग्रेस के 1 सांसद हैं। जो आपदा में भी आप सभी की सहायता के लिए नहीं आये। कोरोना काल में करीब आधे सांसद ही अपने लोगों के बीच सक्रिय हैं। सवाल है कि बाकी आधे कहां हैं?

लोक जनशक्ति पार्टी के माननीय सांसदों ने आपके लिए क्या किया?

लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान का देहांत हो गया, उसके पश्चात लोजपा की स्थिति बदतर होते जा रही है। इसके कार्यकर्ता, नेता दूसरे पार्टी का दामन थाम रहे हैं। सीधे तौर पर कहें तो इस पार्टी में नेतृत्व की कमी है।

लोक जनशक्ति पार्टी के बिहार में कुल 6 सांसद हैं। इनमें पार्टी प्रमुख चिराग पासवान, उनके भाई प्रिंस पासवान, चाचा पशुपति पारस, वीणा देवी, चंदन सिंह और चौधरी महबूब अली केसर हैं।

चिराग पासवान जमुई से सांसद हैं, जो आखिरी बार बिहार विधानसभा चुनाव, 2020 में अपने संसदीय क्षेत्र में गए थे। कोरोना काल में इन्होंने जनता से न ही वर्चुअल माध्यम से कोई संवाद किया ना खुद जाकर किसी प्रकार की सहायता की। कुछ दिनों पहले खबर आई थी कि चिराग पासवान कोरोना संक्रमित हो गए हैं।

पशुपति पारस हाजीपुर संसदीय क्षेत्र से चुनकर लोकसभा पहुंचे। ये आखिरी बार 2019 में ही क्षेत्र भ्रमण पर गए थे। उसके बाद इन्हें फुर्सत नहीं मिली। काहे कि चुनाव खत्म तो मतलब भी खत्म। कोरोना काल में इन्होंने जनता के लिए कुछ नहीं किया। कुछ ऐसा ही हाल वीणा देवी का है, जो वैशाली से सांसद हैं, और प्रिंस कुमार, जो समस्तीपुर से सांसद हैं, इनकी कहानी भी यही है। जिन्हें जनता से बस चुनाव के समय ही काम है, उसके बाद सरकारी बंगले में आराम फरमाते हैं। इन्होंने भी कोरोना काल में आपकी कोई सहायता नहीं की है।

चौधरी महबूब अली कैसर खगड़िया की जनता के मुद्दे लोकसभा में उठाते हैं। ये 31 मार्च 2021 को आखिरी बार आपके संसदीय क्षेत्र में गए थे। इन्होंने कोरोना काल में सदर अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट लगाने की पहल की। चंदन सिंह नवादा से सांसद हैं। ये 1 अप्रैल 2021 को नवादा गए थे। कोराना काल में तीन एंबुलेंस खरीदने की अनुशंसा की।

लोजपा के 6 में 4 सांसदों ने आपके लिए कुछ नहीं किया। बाकी दो सांसद थोड़े सक्रिय दिखे जिन्होंने सांसद निधि से जनता के मदद की कुछ पहल की।

भारतीय जनता पार्टी के माननीय सांसदों ने आपके लिए क्या किया?

एनडीए सरकार में भी बिहार के पांच सांसद मंत्री हैं। जो भारतीय जनता पार्टी से हैं। बिहार से भारतीय जनता पार्टी के 17 सांसद हैं, जिन्हें आपने अपने मतों से जीता कर संसद के गलियारे में पहुंचाया है।

रविशंकर प्रसाद, जो पटना साहिब का लोकसभा में प्रतिनिधित्व करते हैं, केंद्रीय कानून और आईटी मंत्री हैं। ये बराबर पटना आते-जाते रहते हैं। आखिरी बार 15 मई को पटना आये थे। कोरोना काल में आपकी मदद के लिए इन्होंने ने पटना में मेदांता को कोविड डेडिकेटेड अस्पताल बनाने की पहल की। इसके अलावा निजी अस्पतालों से मीटिंग कर सुविधा बढ़ाने पर जोर दिया।

अश्विनी कुमार चौबे बक्सर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री हैं। 6 अप्रैल 2021 को आखिरी बार क्षेत्र में गए थे। इन्होंने डुमरांव में मेडिकल कॉलेज की नींव रखवाई। इसके अलावा मोबाइल वैन, ऑक्सिजन कॉन्सन्ट्रेटर उपलब्ध करवाया। वैसे हाल ही में खबर आई थी कि इन्होंने एक ही एम्बुलेंस का चार बार उद्घाटन कर दिया।

उजियारपुर लोकसभा क्षेत्र की जनता ने नित्यानंद राय को जीताया। ये केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हैं। ये आखिरी बार 14 जनवरी को अपने क्षेत्र में दिखे थे। कोरोना काल में जनता की सहायता के लिए सांसद निधि से 2 करोड़ की राशि दी। क्षेत्र में एक गाड़ी से सैनिटाइजेशन करवा रहे हैं।

गिरिराज राज सिंह बेगूसराय से जीत कर लोकसभा पहुंचे हैं। ये केंद्रीय मत्स्य-पशुपालन एवं डेयरी मंत्री हैं। हर पंद्रह दिन पर क्षेत्र में जाते हैं। आखिरी बार 7 मई को गए थे। सदर अस्पताल में ट्रूनेट मशीन, आईसीयू जैसी सुविधाएं बढ़ाने का प्रयास किया।

राज कुमार सिंह आरा से सांसद हैं। ये केंद्रीय ऊर्जा मंत्री हैं। ये आखिरी बार 24 अप्रैल 2021 को अपने क्षेत्र में गए थे। कोरोना काल में इनकी कोई खास उपलब्धि नहीं है।

रामकृपाल यादव (संसदीय क्षेत्र — पाटलिपुत्र), जनार्दन सिंह सिग्रीवाल (संसदीय क्षेत्र — महराजगंज), प्रदीप कुमार सिंह (संसदीय क्षेत्र — अररिया), सुशील कुमार सिंह (संसदीय क्षेत्र — औरंगाबाद) और गोपाल जी ठाकुर (संसदीय क्षेत्र — दरभंगा) अपने-अपने क्षेत्र में सक्रिय हैं।

डॉ संजय जसवाल बिहार भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष हैं। 2019 में बेतिया से जीत कर लोकसभा पहुंचे। ये बिहार की राजनीति में सक्रिय रहते हैं। आखिरी बार 17 मई को अपने संसदीय क्षेत्र में गए थे। ये खुद एक डॉक्टर हैं। इस नाते अस्पतालों में घूम कर मरीजों का हाल जानते हैं। अधिकारियों के संपर्क में रहते हैं।

भाजपा के छेदी पासवान (संसदीय क्षेत्र — सासाराम), राधामोहन सिंह (संसदीय क्षेत्र — पूर्वी चंपारण), अशोक कुमार सिंह (संसदीय क्षेत्र — मधुबनी), रमा देवी (संसदीय क्षेत्र — शिवहर) और अजय निषाद (संसदीय क्षेत्र — मुज्जफरपुर) ने कोरोना काल के दौरान आप सबों के लिए कुछ खास नहीं किये हैं। इनमें से कुछ सांसदों ने तो कुछ भी नहीं किया है।

राजीव प्रताप रूडी सारण लोकसभा क्षेत्र से जीतकर दिल्ली पहंचे हैं। हाल ही में, एम्बुलेंस मामले में पप्पू यादव ने उनकी पोल खोली थी। इनके द्वारा दिया हुआ एम्बुलेंस मरीज़ों को अस्पताल पहुंचाने के लिए नहीं, बल्कि बालू ढोने के काम आता है। ये आखिरी बार 10 अप्रैल को आपसे मिलने गए थे। कोरोनकाल में कोविड मरीज़ों के लिए हेल्पलाइन शुरू की।

कांग्रेस के माननीय सांसद ने आपके लिए क्या किया?

डॉ मोहम्मद जावेद विपक्ष के एकमात्र सांसद हैं। जो किशनगंज लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये आखिरी बार 21 मई को किशनगंज गए थे। कोरोनाकाल में आपकी मदद करने के लिए सिर्फ केंद्रीय मंत्रियों को पत्र लिखते हैं।

जदयू के माननीय सांसद ने आपके लिए क्या किया?

जनता दल (यूनाइटेड) ने लोकसभा चुनाव, 2014 अकेले लड़ा था, जिसकी वजह से 2 सीटों पर सिमट कर रह गई थी। एनडीए में शामिल होने के बाद 2 से 16 तक का सफर तय किया। एनडीए का घटक दल होने के बाद भी जदयू के एक भी सांसद मंत्रिमंडल के हिस्सा नहीं हैं।

गया लोकसभा क्षेत्र से जीत कर लोकसभा पहुंचे हैं, उनका नाम है विजय कुमार मांझी। कोरोना की पहली लहर के दौरान संक्रमित हो गए थे। उसके बाद से खुद को घर में बंद किये हुए हैं। अजय मंडल भागलपुर से सांसद हैं। 14 मई की मौत की अफवाह उड़ने के बाद सामने आए। कोरोना की डर से घर में बंद हैं।

कविता सिंह (संसदीय क्षेत्र — सिवान), दिनेश चंद्र यादव (संसदीय क्षेत्र — मधेपुरा), आलोक कुमार सुमन (संसदीय क्षेत्र — गोपालगंज), संतोष कुमार (संसदीय क्षेत्र — पूर्णिया), दिलेश्वर कमैत (संसदीय क्षेत्र — सुपौल) और कौशलेंद्र कुमार (संसदीय क्षेत्र — नालंदा) आप सभी के बीच मे हैं। अपने स्तर से आपकी सहायत कर रहे हैं।

महाबली सिंह (संसदीय क्षेत्र — काराकाट) और दुलाल चन्द्र सिंह (संसदीय क्षेत्र — कटिहार) ने कोरोना काल में आपके लिए कुछ खास नहीं किया हैं। रामप्रीत मंडल (संसदीय क्षेत्र — झंझारपुर) ने आपके लिए कुछ नहीं किया है।

चंदेश्वर प्रसाद जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये आखिरी बार 6 अप्रैल को अपने क्षेत्र में दिखे थे। इन्होंने सदर अस्पताल में ऑक्सिजन प्लांट लगाने के लिए एक करोड़ दिया।

सुनील कुमार पिंटू सीतामढ़ी से सांसद है। कोरोना काल में इन्होंने सदर अस्पताल में ऑक्सिजन प्लांट लगाने की अनुशंसा की। ये आखिरी बार 15 अप्रैल को अपने क्षेत्र में दिखे थे।

गिरिधारी यादव बांका से सांसद हैं। ये 22 मई को क्षेत्र में गए थे। ये अधिकारियों से मिलते हैं। ये अस्पतालों में निरीक्षण करते हैं।

राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह मुंगेर से सांसद हैं। ये राजनीतिक रूप से सक्रिय रहते हैं, लगातार विपक्ष के नेता, तेजस्वी यादव, से सवाल पूछते रहते हैं। किस बिल में हैं तेजस्वी? लेकिन खुद 21 मार्च के बाद संसदीय क्षेत्र में नहीं गए हैं। यदि क्षेत्र में जाते हैं तो लोगों से मिलते हैं। गांवों में सैनिटाइजेशन करावा है।

सुनील कुमार वाल्मीकि नगर क्षेत्र से सासंद हैं। ये 13 मई को आखिरी बार क्षेत्र में गए थे। कोरोना काल में अधिकारियों से मिलते रहते हैं और अस्पतालों का निरीक्षण करते रहते हैं।

7 सांसद 3 महीने से क्षेत्र में नहीं गए

आप इस आलेख को पढ़ेगे तो पता चलेगा कि कम से कम सात सांसद ऐसे हैं, जो बीते 3 महीने से अपने इलाके में नजर नहीं आए हैं। इनमें केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय (उजियारपुर), रामप्रीत मंडल (झंझारपुर), चिराग पासवान (जमुई) और पशुपति पारस (हाजीपुर) शामिल हैं। वहीं, विजय मांझी (गया), वीणा देवी (वैशाली) और अजय मंडल (भागलपुर) अपने क्षेत्र में रहकर भी जनता को नहीं दिखे हैं।

12 सांसद बीते 1 महीना से क्षेत्र में नहीं दिखे

बिहार के 12 सांसद ऐसे हैं जो कम से कम 22 अप्रैल के बाद से अपने क्षेत्र में नहीं दिखे हैं।

चुनाव के वक्त नेता जी आपसे बड़े-बड़े वादें करते हैं, जैसे ही जीतेंगे आपके इलाके के सारी समस्याएं खत्म हो जाएंगी। आप एक बेहतरीन जीवन-यापन करने लगेंगे। वास्तविकता में कुछ और ही होता है, आपकी समस्याएं अगले चुनाव तक वहीं रह जाती है, जो पहले थी। यदि आप अपने नेता जी से मिलने जाए तो घंटों धूप में इंतजार करना पड़ेगा, तब कही मिल पाए। कई बार तो आप खाली हाथ निराशा होकर लौटते हैं। ये आपको चुनना है आप किसे अपना नेता बनायेंगे? कैसे नेता को चुनेंगे? वैसे जो आपके दुःख में खुद को आपसे पृथक कर लें, चुनाव आते ही अपनापन का राग अलापने लगें। ये निर्णय आपका होगा क्योंकि आपका ही एक मत किसी आम आमदी को आपकी नेतृत्व करने की शक्ति प्रदान करता है।

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