विधायक के बिगड़े बोल
लोकतंत्र में सदन का एक विशेष महत्व होता है। सदन को सुचारू रूप से चलाने की जिम्मेवारी सदन के सभापति की होती है। जो सभी सदस्यों को अपनी बात रखने का मौका देते हैं। सभापति सदस्यों की बातों को संज्ञान में लेते हैं। सरकार से सदस्यों के प्रश्नों का जवाब तलब करते हैं। इसके अलावे भी सभापति की अनेकों जिम्मेदारियां होती हैं।
बिहार विधानसभा का बजट सभी प्रकार के मर्यादाओं को पार कर दिया है। सदस्य सभापति, वियज कुमार सिन्हा, के प्रति ही आदर भाव नहीं रखते है। उनपर पक्षपात के आरोप लगाते है।
इस बार के सत्र में फ़रियाने से लेकर मारपीट तक की नौबत आ गई है। तो कभी सदस्य सभापति को ही नियम कानून सीखने लगते है।
बिहार सरकार के पंचायती राज मंत्री और भाजपा के नेता सम्राट चौधरी सभापति को ही ज्ञान दे डालते है। सभापति के लाख कहने पर भी शब्द को वापिस नहीं लेते है।
ये बिहार विधानसभा के वही गणमान्य सदस्य है जो हर नियम को तांक पर रख कर चलते है। ऐसे गणमान्य सदस्यों से बिहार की विकास के लिए क्या ही उपेक्षा की जा सकती है।