शोषण की घिनौनी प्रक्रिया एक असुर को जन्म देती है

Satyampandey
Nukkad Corner
Published in
3 min readMar 24, 2021

इंसानों को कभी-कभी देवता के समान मान लिया जाता है तो उसका असुर हो जाना भी लाजमी है क्योंकि दोनों का उद्गम एक से ही है ।

Source — IMDB

फिल्म समीक्षा — ‘असुरन’

समीक्षक — विशाल सिंह

निर्देशक — वेत्री मारन

स्टार कास्ट– धनुष ,पशुपति, प्रकाश राज, करुनास और तियेय

आईएमडीबी रेटिंग –8.5/10

उपलब्धि –बेस्ट एक्टर नेशनल अवॉर्ड (धनुष)

रेटिंग –4/5

इंसानों को अगर उसके निम्नस्तर तक शोषित किया जाए तो उसका असुर हो जाना भी संभव है। फिल्म का मुख्य किरेदार जो सिली आंखें लिये ,शांत स्वभाव रख अपने परिवार के साथ जीवन व्यतीत कर रहा है । छोटे असामाजिक तत्व को नजरअंदाज करना उसने( मुख्य किरदार)अपनी पिछले बुरे एक्सपीरियंस से सीख लिया था, जिसके कारण उसके बेटे उसे डरपोक और कायर समझते है। कहते हैं ना इतिहास खुद को दोहराता है- फिर से परिवार उसकी प्राथमिकता है और असुर हो जाना उसकी मजबूरी बन जाती है

कहानी -

इस फिल्म की शुरुआत में शिवस्वामी (धनुष)अपने छोटे बेटे चिदंबरम (केन करुनास)के साथ एक नदी को पार करते हुए दिखते है।

दूसरी तरफ शिवस्वामी की पत्नी पचईयम्मा (मंजू वारियर) अपनी सबसे छोटी बेटी लक्ष्मी और अपने भाई मुरुगेशन (पशुपति) के साथ जंगलों में भागती दिखाई देती हैं क्योंकि उनके पीछे गांव के जमींदार के गुंडे पड़े थे। जो जमींदार के बेटे और भाई ने लगवाए थे शिवस्वामी और उसके परिवार के भागने का कारण उसका छोटा बेटा था जिसने जमींदार की हत्या कर दी थी।यहां से कहानी थोड़ी सी फ्लैशबैक में जाती है।

शिवस्वामी का परिवार गांव में खेती करता था जिनमें उनका बड़ा बेटा मुरुगन (तियेय अरुनासलम)छोटा बेटा चिदंबरम बेटी लक्ष्मी और पत्नी पचईयम्मा और साला मुरुगेशन था।

उसके तीन एकड़ भूमि पर जमींदार और उसके बेटों की नजर रहती थी जिसको वो फैक्ट्री में बदलना चाहते थे।एक दिन शिवस्वामी की पत्नी पचईयम्मा का जमींदार के बेटों से झगड़ा हो जाता है जिसमें मुरुगन जमींदार के बेटों को मारता है जिससे मुरुगन को पुलिस पकड़ कर ले जाती है।शिवस्वामी समझौते के लिए पंचायत जाता है और पंचायत के शर्त के अनुसार अपने बेटे को छुड़ाने के लिए गांव वालों में सबके पैर छूकर माफी मांगता है।यह शिव स्वामी के बड़े बेटे मुरुगन को बर्दाश्त नहीं होता और बाद में वह जमींदार को चप्पल से मारता है जिसके बाद मुरुगन की हत्या हो जाती है।अपने बड़े भाई की हत्या के बाद चिदम्बरम अपनी माँ को दुखी नहीं देख पाता है और वह जमींदार को मार देता है।शिव स्वामी के बेटे उसको कायर और डरपोक समझते थे लेकिन चिदंबरम को गुंडों से बचाते हुए शिवस्वामी का असली रौद्ररूप दिखाई देता है।

Source — Pinterest

रिव्यू -

भारतीय सिनेमा ने जिस तरह से दर्शकों के समक्ष हीरो की माचो छवि गड़ता आया है वहीं असुरन हमें हीरो के सच्चे मायने बतलाता है- जैसे समानता ,स्वतंत्रता ,भाईचारा ,शिक्षा जैसी बातें रखना कैरेक्टर को राष्ट्रीय हीरो के तौर पर स्थापित करता है। फिल्म मैं हीरो की दूरदर्शिता और सोच समाज की कई स्टीरियोटाइप (सेक्सिस्ट, पेट्रियाकल ,कास्टीज्म) को तोड़ता नजर आएगा । टॉलीवुड सिनेमा में मास स्टार की हैसियत रखने वाले धनुष द्वारा अभिनीत उनकी यह फिल्म अब तक सबसे बेहतरीन चरित्र अभिनय से एक है।

बदले की समान सी कहानी को स्क्रीन पर शानदार तरीके से पेश करने के लिए मेकर्स प्रशंसा के पात्र हैं।यह फिल्म ‘वेक्कई’ उपन्यास पर आधारित है जो कि काफी पुरानी उपन्यास है।इस फिल्म के डायरेक्टर वेत्री मारन ने काफी शानदार डायरेक्शन किया है और इस फिल्म का सिनेमेटोग्राफी भी काफी सुंदर है, बैकग्राउंड म्यूजिक और गाने भी काफी बेहतरीन है। बहरहाल आप अच्छी फिल्में और अभिनय के प्रशंसक है तो भाषा को बाधा नही बनने दिया जा सकता है। यह फिल्म आपको अमेजन प्राइम पर हिन्दी सब टाइटल के साथ देखने को मिल जाएगा।

फिल्मों के शौकीन लोगों ने अगर इस फिल्म को नहीं देखा तो उन्होंने एक शानदार फिल्म को मिस कर दिया है।

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