अनावृत्ति

Rashid Manav
Project Potential
Published in
2 min readAug 30, 2016
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इस यात्रा में मेरी काफी चीजों में बदलाव ला दिया है ! जैसे मैं पहले से ही इस शिक्षा व्यवस्था से हट कर सिखने का प्रयास कर रहा था लेकिन कहीं न कहीं ये एक डर मन में बैठा हुआ ही था कि क्या मैं ये जो कर रहा हूँ तो सच में मैं सफल रहूँगा ही, क्या मैं ही एक अकेला व्यक्ति हूँ जिन्होनें ये व्यवस्था के ऊपर आवाज उठाया है! मैं बहुत तनाव में रहता था कि मैं क्या करूँ? पूरी तरह इस शिक्षा व्यवस्था से हट जाऊं या बिना इक्षा के इसमे घुस के ही रहूँ? लेकिन जब मैं सवराज गया था! वहाँ पे मेरे सोच में काफी बदलाव आ गया ! वहाँ पे मैंने देखा कि बहुत दूर दूर से लोग आये हुए हैं और इस शिक्षा व्यवस्था से काफी थक गये हैं. कोई इंजिनियर बन रहा था, कोई डॉक्टर बन रहा था, लेकिन सबको महसूस हुआ कि ये उसका ख़ुशी का छेत्र नहीं है और अंत में वह यहाँ आ गये ! और सब अभी काफी अच्छा feel कर रहा है ! इससे मेरा मनोबल में काफी बढ़ोतरी हुई ! फिर मैं सिक्शंतर में जब था तो मैं वहाँ पे मनीष जी से मिले ! उनसे मिल के मुझे काफी प्रेरणा और आत्मविसबास मिला ! वह अपनी बेटी को इस शिक्षा व्यवस्था से पूरा दूर रखे है ! और उसके ख़ुशी के आधार से उसे पढाया लिखाया ! वह कभी बोलते नहीं है कि ऐसा करना चाहिए वैसा करना चाहिए ! वह बोलते है कि आपको जिसमे ख़ुशी मिलती हो वह काम कीजिये ! दुनिया के रेस में दौरने से अच्छा है कि खुद का एक नया रास्ता बनाये ! ये कभी मत देखिये कि लोग क्या कर रहा है ? कहाँ जा रहा है ? किस रास्ते पे जा रहा है ? बल्कि खुद तय कीजये कि आपके लिए क्या सही है ! आपका किस चीज में ज्यादा खुसी है ! वह काम कीजये!

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