हर परिस्थिति एक अनावृत्ति है

Rashid Manav
Project Potential
Published in
2 min readSep 9, 2016

अभी मैं काफी सारे जगहों पे यात्रा कर के वापस अपने घर आया हुआ हूँ ! मैंने जो अभी यात्रा के दौरान सीखा और महसूस किया है वो काफी अलग है यहाँ पे ! मैं अगर कहूँ तो एक तरह से मेरा घर वापस आना ये भी एक यात्रा ही है मेरे लिए ! ये भी एक एक्सपोज़र ही है मेरे लिए ! काफी नई चीज अभी मैं यहाँ पे महसूस कर पा रहा हूँ इस यात्रा की वजह से ! कि क्या सही और क्या गलत हो रहा है यहाँ हमारे समाज में अभी मैं जब घर आया हूँ तो घर वाले ने बहुत दवाव दिया कि कॉलेज जाना है ! क्लास करना है ! तो मैं एक दिन ऐसे ही कॉलेज चला गया ! जाने के बाद मैं क्लास में बैठा और टीचर आये और क्लास स्टार्ट हो गई ! वो क्लास में बता रहे थे कि “डिग्री कितना जरुरी है अज के जीवन में” उन्होंने कहा कि हमे अलग अलग नोट्स लेना चाहिए ! हमे उस सवाल पे ज्यादा धियान देना है जो तीसरे साल पुचा गया है आदि आदि ! तभी मैंने उनसे एक सवाल पूछा कि क्या सर ये बताये कि हमलोग पढाई किस लिए करते है डिग्री के लिए या नॉलेज के लिए ! तो उन्होंने कहा कि आज जमाना ऐसा ही है ! कोई ऐसा नहीं सोंचता है कि नॉलेज जरुरी है ! सभी को डिग्री ही लेना है ! तो मैं भी डिग्री का ही सलाह देता हूँ ! और मुझे भी ये महसूस हो रहा है कि कमी हम में ही है हम ही चाहते है कि डिग्री ले लिए बस हो गया पढाई , कर लिए महाभारत हासिल ! ये परतियोगिता ,भाग दौड़ वाली सिस्टम बना है हमलोगों की वजह से , हमलोगों ने ही ऐसा बना दिया है ! जिसमे किसी को किसी की प्रवाह नहीं है ! न ही प्रकृति की , न ही समाज की , न ही दोस्तों की , न ही रिश्तेदारों की , किसी की भी नही ! सिर्फ प्रतियोगिता ही मन में भरा हुआ है ! आगे जाना है , अरे भाई किससे आगे जाना है..? शायद ये किसी को नहीं पता |

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