नव दृष्टि

Rashid Manav
Project Potential
Published in
2 min readJul 28, 2016

मैं हमेशा से कुछ प्रश्न लिए घुमता था कि क्या मैं इस नियम भरी दुनियाँ से बहार निकल सकता हूँ ? मैं जो जी रहा हूँ इससे कितना हानि और कितना लाभ हो रहा है प्रकृति को ? क्या मुझे हमेशा किताबों के सहारे ही जीना पड़े गा ? जो किताबों में लिखा हुआ है उसे ही मानना पड़े गा ? क्या मुझे हक़ नहीं है कि मैं खुद का एक नजरिया बना सकता हूँ ? इन्हीं सवालों का मैं हमेशा जबाव ढूंडता था ! तभी मुझे एक संस्था के बारे में पाता चला ! जिसका नाम है project potential जो ग्रामीण युवा के साथ काम करती है ! एक सचेत जिंदगी कैसे जी सकें ! तब मुझे लगा कि मेरे सवालों का जबाव यहीं पर मिल सकता है ! आज मैं खुद का जब अवलोकन करता हूँ; तो मुझे बहुत आश्चर्य लगता है कि मुझमें काफी बदलाव आया है ! मेरे सोंचने का नजरीया काफी बदल चुका है, जैसे मैं पहले सोंचता था कि लड़कियों को हमेशा परदे में रहना चाहिए ! उनको बाहर के काम- काज में दिमाग नहीं लगाना चाहिए ,उनके पास ज्यादा दिमाग नहीं होता है ,वह लड़कों से कम होती है |लेकिन इस संस्था में आ कर मेरा बहुत हद तक नजरिया में बदलाव आया है और आ रहा है तथा मेरे खुद के सोंचने का एक दृष्टिकोण बन रहा है ! मैं चाहता हूँ कि मेरे सोच में जितना भी परिवर्तन आये; मैं आप सभी के साथ साझा करूँ !

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