आओ बनें वो आवाज़

Tulika Verma
sardikidhoop
Published in
2 min readJan 15, 2024

एक आवाज़ की ज़रूरत है आज देश में | एक आवाज़ जो सच हो, अच्छाई को समर्पित हो और जो जीवन को बेहतर बनाने का काम करे | एक आवाज़ जो लोगों को याद दिलाये कि अच्छाई पर भरोसा किया जा सकता है, कि सच और समानता के साथ एक समाज संभव है, कि हम इतने छोटे नहीं हैं जितना खुद को मान लिया है | कि हम आज भी प्यार के लिए संघर्ष कर सकते हैं, अपने आस पास अमन और सौहार्द का एक छोटा सा देश बना सकते हैं | भारत क्या है? मैं भारत हूँ, तुम भारत हो, हमारे परिवार, हमारे मोहल्ले, हमारे गाँव, हमारे दोस्त यार, यही तो भारत हैं |

बस इनको सँभालते हैं न मिलके — अपने छोटे छोटे भारतों को | इसमें भरते हैं न प्यार | इसमें करते हैं न हँसी-ठिठोली, बनाते हैं पड़ोसियों को परिवार, मनाते हैं एक दूसरे के पर्व, खिलाते हैं एक दूसरे को मिठाई, देते हैं किसी और के माँ बाप को बस में अपनी सीट, बाँटते हैं न न सिर्फ बासी खाना और पुराने कपडे पर प्यार और सम्मान भी उनसे जिन्हें जन्म की लॉटरी ने हमसे थोड़ा कम दिया है, गाते हैं मिलकर गाने फिर से पुराने दूरदर्शन वाले — “मिले सुर मेरा तुम्हारा तो सुर बने हमारा, क ख ग घ को हथियार बना कर लड़ना सीखो, मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना”, लेते हैं थोड़ा हलके में उनको जो हमें बाँटने की कोशिश में पुरज़ोर लगे हैं | मैं और तुम इतने बेवक़ूफ़ तो नहीं | इस मंदिर मस्जिद के नाम पर अपने छोटे छोटे भारत क्यों तोड़ें? यही मिलकर तो भारत है वरना क्या है भारत?

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