सर्दी की धूप

Tulika Verma
sardikidhoop
Published in
Sep 24, 2023

वो कहते हैं रोम एक रात में नहीं बना

फिर एक रात में
ध्वस्त कैसे हो जाती हैं
वर्षों, युगों की इमारतें
एक ठोकर में कैसे
बिखर जाती हैं
एक एक कर संजोयी सीपियाँ
क़तरा क़तरा स्वप्न का भी
चकनाचूर होते देखा है
रात के कुछ लम्हों में
तुम भी तो चले गए थे
एक रात में ही
फिर कभी न लौटने को
कितना कुछ बदल जाता है
एक रात के विस्तार में

विनाश रचना से इतना सरल क्यों है?

Originally published at http://sardeekeedhoop.blogspot.com.

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