खादी केवल व्यक्ति, विचार या वस्त्र तक सीमित नहीं अपितु एक जीवनशैली है।

Vasumitra Shankar Bhardwaj
ShankarSpeaks
Published in
1 min readOct 1, 2020

भारत की आत्मा का सहज ज्ञान भारतीय ग्रामीण क्षेत्रों के समूल उत्कर्ष से संभव। और उसका मूल जो कि ग्रामीण क्षेत्र की सभ्यता संस्कृति को देखने से नहीं अपितु जीने से बोधगम्य है।

खादी केवल विचार है ऐसा कहने से सीमित करना है। उसे जीना, व्यवहार व्यवस्था में अनुपालना करना जरूरी है। केवल कपड़ा तक यह सीमित नहीं। अपितु यह एक जीवन शैली है। जिसमें भोजन भजन योग पारायण प्राणायाम ध्यान, सहज व्यवहार वर्तन। सरल होना, सहज होना। इससे एक महनीय जीवन का संधारण किया जा सकता है। आदर्श मनुष्य जीवन कैसा हो। इसको लक्षित कर, उसे सरलता से व्यवहार में लाया जा सकता है।

खा: खम् ब्रह्म:
दी: ऐसा दीपक जो अंदर बाहर के तिमिर को दूर करें।

इन विचार को अनुपालन से बहुत कुछ जो चाहे प्रकृति के रहस्य से जुड़ा हो या असाधारण और साधारण मनुष्य जीवन से, सब कुछ अर्जित किया जा सकता है।

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Vasumitra Shankar Bhardwaj
ShankarSpeaks

Grassroots Worker| CoFounder & CEO at SpandanWeavers Craft|Social Entrepreneur| Global Shaper | Working on Mission for Greater Good. “श्रेयो भूयात् सकल जनानां”