अध्याय २, श्लोक २२

Suyash Upadhyay
Srimad Bhagavad Gita
Feb 26, 2022

वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि। तथा शरीराणि विहाय जीर्णा न्यन्यानि संयाति नवानि देही।।

जिस प्रकार मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्याग कर नये वस्त्र धारण कर लेता है, उसी प्रकार आत्मा पुराने तथा व्यर्थ के शरीरों को त्याग कर नवीन भौतिक शरीर धारण करती है।

--

--

Suyash Upadhyay
Srimad Bhagavad Gita

Computer Programmer I Amateur Content Writer | Book Reader