अध्याय २, श्लोक २३

Suyash Upadhyay
Srimad Bhagavad Gita
Feb 26, 2022

नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः। न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः।।

यह आत्मा न तो कभी किसी शस्त्र द्वारा खण्ड-खण्ड की जा सकती है, न अग्नि द्वारा जलायी जा सकती है, न जल द्वारा भिगोया या वायु द्वारा सुखायी जा सकती है।

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Suyash Upadhyay
Srimad Bhagavad Gita

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