LONELY

Ashutosh Bhaskar
Technology Literary Society
1 min readJun 30, 2017

इस भीड़ भाड़ की ज़िन्दगी में , कोई तन्हा. ही. रह जाता है

हर मज़ाक को हँस कर कोई हर बार नहीं सुन पाता. है

दो लब्ज़ प्यार के ढूंढने को जो तरसता है उसका भी मन

सुनाई नहीं परती जो तुमको वो गीत अकेला गाता. है

इस भीड़ भाड़ की ज़िन्दगी में , कोई तनहा ही. रह जाता है

यूँ ही हाल चाल पूछने वाले तो शायद तेरे मैय्यत पर भी पूछेंगे

खुशियों से महरूम तुम्हारा ख्वाब सजा रह जाता है

कुछ बहुत सोच कर कहते हो की लोग तुम्हे. भी देखेंगे ,

अनसुना तो ऐसे जैसे कोई आफ़ताब छुपा रह जाता है

इस भीड़ भाड़ की ज़िन्दगी में , कोई तनहा ही. रह जाता है

मुस्कुराने की खता बहुत पुरानी है तेरी

की हँसता और जोरों से है ये दिल जब टूट जाता है

ये गफलत की मौसम ऐसी तेरी की बस बरसात फैली है

अकेले रोता है तू. जब ये बारिश भी रूठ जाता है

इस भीड़ भाड़ की ज़िन्दगी में , कोई तनहा ही. रह जाता है

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Ashutosh Bhaskar
Technology Literary Society

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