Mathematical Love Story

Ashutosh Bhaskar
Technology Literary Society
3 min readJan 27, 2017

आज भी जब Cartesian Plane के अपने वो दिन याद करता हूँ तो मेरा straight line सा मुँह, opening upwards parabola (a >0 ) की तरह खिल जाता है।

अब तो life की equation quadratic से bi-quadratic हो चुकी है। ज़िन्दगी के उस पड़ाव पे आ चुका हूँ जहाँ सारे roots complex हैं। बात तब की है जब मैंने अपने quadratic life के roots ढूंढने के लिए जान लगाई थी।

मेरा नाम y =1 है, real परिवार से हूँ , बहुत संस्कारी परिवेश में पला बढ़ा, किसी भी unknown function से दूर रहना, माँ की बातों पर यकीं करना कि देर से घर आने पर gof या fog जैसे composite function उठा ले जायेंगे जिसे मैं समझ भी नहीं पाऊंगा ।

मेरी माँ y=x - 1 है और पापा x=2 हैं, मैं y = m x + c में बस c से चू….. ही रह गया। m से मेहनत न कभी हुई मुझसे न मुझे कभी फल मिला।

बचपन से ही complex होने के ख्वाब संजोता था मैं। धीरे धीरे मेरे सारे दोस्त argand plane में shift हो गए अपनी — अपनी iota के साथ खुश होकर।

मेरी ज़िन्दगी में भी एक exponent नाम की लड़की आयी, पर वो बहुत increasing थी। कई log उसके आस पास घूमते थे पर उसे तो मैं ही पसंद था। लेकिन दोस्तों, exponent जात का भरोसा कभी नहीं करना चाहिए | पास के ही ln के साथ constant हो गई, कहने लगी मेरे लिए दोनों परिवार में logarithmic लेना पड़ेगा और ln1 सुनते ही मैं एकदम zero हो जाता हूँ।

College की तैयारी के लिए मैं tangent बन गया , बस एक ही point of contact , उसके आलावा कोई और dimension नहीं। मेहनत के अनुरूप मेरा selection best college में हुआ।

मेरे कई दोस्त बने वहाँ पर, हर function के बहुत intersection points मिले। मैं बहुत खुश था, कि एक दिन मेरी नज़र यहाँ की सबसे खूबसूरत function पर पड़ी y =sinx नाम था उसका।

लचकती चाल में nπ/2 पर अपने गुरुर में इठलाते हुए गुज़रती थी , n π पर down to earth थी पूरे domain में -infinity से +infinity तक defined थी। बहुत reserve सी थी वो, -1 से 1 के ऊपर किसी से बात तक नहीं करती थी।

मुझसे पूरे period में बस एक बार hi कह के निकल जाती थी। बाकी सबको दो बार मिलती थी, बस -1 को भी एक बार hi की formality ही झेलनी परती थी।

दोस्तों ने मेरी तड़प देख के मुझे एक Love बाबा से मिलवाया, एक साल तक वहां chord बना रहा । बस बाबाजी और sinx चलता रहता था। cgpa , societies , haircut और non — core talent बढ़ाने के बाद अब आधा हो गया, मैं y =1/2 हो चुका था। सब अच्छा लग रहा था।

उस दिन मैं जल्दी से π/6 वाले bench पे बैठा था कि मेरी आँख फटी कि फटी रह गयी। अब वो reserved और cute नहीं रही थी, खुली किताब बन चुकी थी, जिसे सब मज़े से पढ़ रहे थे। उसका inversion हो चूका था ! मोहतरमा को उसके दोस्त cosec x बुला रहे थे। जहाँ nπ पर down to earth हुआ करती थी, आज वहां attitude सातवें आसमां पर था।अब जब किस्मत साथ न दे तो कुछ नहीं कर सकते।

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Ashutosh Bhaskar
Technology Literary Society

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