Freedom or Slavery (Part-1)

स्वतंत्रता अथवा दासता

Agnivrat Naishthik
3 min readNov 18, 2017
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आज सम्पूर्ण भारतवर्ष में स्वतंत्रता की चर्चा जोर-शोर से चल रही है। कलाकारों, फिल्मकारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, मांस भक्षकों की खाने पीने की स्वतंत्रता, युवा-युवतियों की वेशभूषा की स्वतंत्रता, विभिन्न संगठनों की धरने प्रदर्शन, तोड़-फोड़ करने की स्वतंत्रता, परिवार मेें महिला, बच्चों व पुरुषों की अपनी-2 स्वतंत्रता, धर्म के नाम पर अंधविश्वास, पाखण्ड व आडम्बर रचने की स्वतंत्रता, उनके अन्धानुयायियों को पृथक्-2 समुदायों पर चलकर मानव-2 के बीच दीवार खड़ी करने की स्वतंत्रता, राजनेताओं को समुदाय व जातियों के नाम पर आरक्षण आदि प्रलोभनों के द्वारा देशवासियों को परस्पर लड़ाने की स्वतंत्रता, कामी युवक-युवतियों को अंग प्रदर्शन करने, सम वा विषम लैंगिक पाप करने की स्वतंत्रता, इतिहासकारों को मनमाने ढंग से महापुरुषों का इतिहास लिखने की स्वतंत्रता, कॉलेज व विश्वविद्यालयों में छात्र-छात्राओं को चुनाव लड़कर परस्पर वैमनस्य का बीज बोने की स्वतंत्रता, शासकीय कर्मचारी व अधिकारियों को जातियों के नाम पर गुटबन्दी कराते हुए विभाजन कराने की स्वतंत्रता, कथित प्रबुद्धों व समाजसेवियों को भारतमाता के टुकड़े करने के नारे देने, देश के महापुरुषों व देवियों को कलंकित करने एवं देश को नीचा दिखाने की स्वतंत्रता, चित्रकारों को अपनी कला के नाम पर देवों-देवियों के अश्लील चित्र बनाने की स्वतंत्रता, कसाइयों को क्रूरतापूर्वक पशु-पक्षियों को मारने की स्वतंत्रता, भ्रष्टाचारियों को भोले नागरिकों को लूटने की स्वतंत्रता, सोशल मीडिया पर कुछ भी लिखने और न जाने कैसी-2 स्वतंत्रता की पूजा आज इस देश में हो रही हैं।

मेरे देशवासियो! आप अपने हृदय पर हाथ रखकर सोचने का प्रयास करें कि यह सब स्वतंत्रता है? क्या यही देश की सनातन संस्कृति रही है अथवा यह सब हम किसी देश से सीख रहे हैं? क्या हम किन्हीं विदेशी कुसभ्यताओं के दास बनकर ही तो ऐसी मूर्खतापूर्ण स्वतंत्रताओं की मांग नहीं कर रहे हैं? जरा विचार करो कि क्या आप पूरी तरह विदेशों को देख ही नहीं, जी रहे हैं। तब यह स्वतंत्रता कैसी? क्या शिर से नख तक आप दासत्व से ग्रस्त तो नहीं हैं? भला कोई दास स्वयं को कैसे स्वतंत्र, बुद्धिमान् व प्रबुद्ध कह सकता है? यदि वह ऐसा कहता है, तो वह दया का ही पात्र है।

क्रमशः ……….

Thanks

आचार्य अग्निव्रत नैष्ठिक

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Written by Agnivrat Naishthik

A Vaidic Scientist, Philosopher and Author. Researcher @vaidicscience discovered new theory- “Vaidic Rashmi Theory”