Six Anadi-s | षडस्माकम् अनादयः | Advaita Vedanta
अद्वैत वेदांत में शंकराचार्यजीने ६ अनादियों के बारे में चर्चा की है और वह क्या है?
चित्रदीप पंचदशी ६.१८ में कहा है:
जीव ईशो विशुद्धा चित्तथा जीवेशयोर्भिदा ।
अविद्या तच्चितोर्योगः षडस्माकमनादयः ॥
जीव, ईश्वर, विशुद्धचित् (निर्गुण ब्रह्म), जीव-ईश्वर का भेद, अविध्या और उसका चित् के साथ योग — यह छः/ ६ बातें शंकराचार्य वेदान्तीयों के यहाँ अनादि है।
ब्रह्म — सत-चित्त-आनंद, जो इस पूरे जगत का अधिष्टान है।
माया — चर-अचर सहित सम्पूर्ण ब्रह्मांड / जगत्। इसे अविध्या, अव्यक्त, आदि नामों से भी जाना जाता है।
योग — ब्रह्म और माया (समष्टिरूप) का परस्पर सम्बंध।
ईश्वर —ब्रह्म और माया (समष्टिरूप) सम्बंध से जो घटित हुआ।
जीव —ब्रह्म और अविध्या (व्यष्टिरूप) सम्बंध से जो घटित हुआ।
भेद — ईश्वर और जीव के बीच का भेद
इसमें मुख्यत ब्रह्म और माया या अव्यक्त है, बाक़ी सब इनके सहयोग से ही है।