Six Anadi-s | षडस्माकम् अनादयः | Advaita Vedanta

Love Sharma
Vedic Pathshala
Published in
1 min readJul 4, 2020

अद्वैत वेदांत में शंकराचार्यजीने ६ अनादियों के बारे में चर्चा की है और वह क्या है?
चित्रदीप पंचदशी ६.१८ में कहा है:

जीव ईशो विशुद्धा चित्तथा जीवेशयोर्भिदा ।
अविद्या तच्चितोर्योगः षडस्माकमनादयः ॥

जीव, ईश्वर, विशुद्धचित् (निर्गुण ब्रह्म), जीव-ईश्वर का भेद, अविध्या और उसका चित् के साथ योग — यह छः/ ६ बातें शंकराचार्य वेदान्तीयों के यहाँ अनादि है।

ब्रह्म — सत-चित्त-आनंद, जो इस पूरे जगत का अधिष्टान है।

माया — चर-अचर सहित सम्पूर्ण ब्रह्मांड / जगत्। इसे अविध्या, अव्यक्त, आदि नामों से भी जाना जाता है।

योग — ब्रह्म और माया (समष्टिरूप) का परस्पर सम्बंध

ईश्वर —ब्रह्म और माया (समष्टिरूप) सम्बंध से जो घटित हुआ।

जीव —ब्रह्म और अविध्या (व्यष्टिरूप) सम्बंध से जो घटित हुआ।

भेद — ईश्वर और जीव के बीच का भेद

इसमें मुख्यत ब्रह्म और माया या अव्यक्त है, बाक़ी सब इनके सहयोग से ही है।

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