कल (Tomorrow)

Kaushal Shah
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1 min readAug 23, 2019

वो गुज़रा हुआ कल तो आज का कल है
उसे याद करके ये आंखें क्यों नम है
आज तो अभी है, और फिर लौट आने वाला कल है
रखो याद उसे, जो रुलाके हसाये ऐसा पल है

उदासी भी एक ज़रियां है यादों को याद रखनेका
उस मुरझाये फूल सा, जो पन्नो के बिच सिलाया रखा है
है वोह उस मिटति सी सिहाई सा, धीमी होती धड़कन सा
आंसू बनके उदासी यादों का बेहना उसका तरीका तो है

उदासी भी एक ज़रियां है यादों को याद रखनेका
उस मुरझाये फूल सा, जो पन्नो के बिच सिलाया रखा है
है वोह उस मिटति सी सिहाई सा, धीमी होती धड़कन सा
आंसू बनके उदासी यादों का बेहना उसका तरीका तो है

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Kaushal Shah
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“It seems as though inspiration strikes at the most unlikely times”