इज़हार-ए-जुनूँ

Ambarish Chaudhari
zehn
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1 min readJul 2, 2018
Source: pixabay by efes

इज़हार-ए-जुनूँ अपना करने नहीं दिया
झूठी तसल्ली ने मगर मरने नहीं दिया

आरज़ू में मौके की कितनी देर बैठे
वक़्त खींचकर ले गया ठहरने नहीं दिया

रुख़सत का कड़वा घूँट पी कर मिला सुकून
जो मीठे इश्क़ वाले ज़हर ने नहीं दिया

हर शाम के आखरी जाम की चंद बूँदें
डुबाती हैं अक्सर कभी तरने नहीं दिया

‘ज़हन’ ने कहा खड़ा हो के भी दिखाता हूँँ
कुछ तो होगा बाकी जो गिरने नहीं दिया

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Ambarish Chaudhari
zehn
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making my way through mist of magic over lanes of logic