चलता हूँ मैं
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1 min readAug 7, 2018
घर की ओर पैदल निकलता हूँ मैं
रास्ते में ही मन बदलता हूँ मैं
एक खाली रिक्शा तरस खाता है
जिस में चढ़ के घुटने मलता हूँ मैं
ठंडी हवा में कुछ सहलता हूँ मैं
पुरानी यादों से बहलता हूँ मैं
एक गड्ढा बीच में आ जाता है
उछलकर गिरता फिर संभलता हूँ मैं
सोचता हूँ फ़ुज़ूल मचलता हूँ मैं
बेवजह मुश्किल क्यों झेलता हूँ मैं
दो मिनट बाद मेरा घर आता है
छुट्टा रख लो, कहकर चलता हूँ मैं