Abhishant SharmainIndiaMagलय- लोच और जीवन-आशा के कवि :आलोकधन्वाबहुत पहले की बात नहीं है, एक कविता की किताब हाथ लगी थी — ‘कविता नदी’। प्रयाग शुक्ल के संपादन में यह नदियों पर लिखी गई महत्वपूर्ण कविताओं का…Jul 4, 2018Jul 4, 2018
Abhishant Sharma“आरज़ूएँ भी रास्तों जैसी होती हैं अपने अनगिनत मोड़ों से ज़िंदगी को घूमाती रहती हैं..”कई बार कोशिश करने के बाद भी वह हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था । वह नज़रें उठाता , तस्वीर की ओर देखता और वापस नज़रें झुका लेता । दो मिनट सोचता और…Nov 6, 2017Nov 6, 2017
Abhishant SharmainIndiaMagहिन्दी — इंग्लिश, भाई — भाई!यह कैसे संभव है कि हम आज के लेखन में बोलचाल के उन शब्दों का प्रयोग न करें जो इंग्लिश के हैं या कोई और विदेशी भाषाओं के ? सिर्फ़ इसलिए कि…May 29, 20171May 29, 20171
Abhishant Sharmaधोबिपछाड़ पैग़ाम दंगल का !“बेटियाँ कितने पकवान बनाना जानती हैं” – यह ज़्यादा महत्त्वपूर्ण है बज़ाय इसके कि वह कितनी तक पढ़ी-लिखी हैं. “बेटियों का आँचल कितना उपर है…Jan 23, 2017Jan 23, 2017
Abhishant Sharma“नर हो ना निराश करो मन को, कुछ काम करो कुछ काम करो..”बोलचाल की भाषा में अमुमन प्रयोग होने वाली कविता की यह पंक्तियॉ शायद ही किसी को याद दिलाने की जरूरत होगी। लगभग हममें से सभी ने सुनी ही होगी…Dec 12, 2016Dec 12, 2016
Abhishant SharmainHindi Kavitaहमें तो अनिर्मित पंथ प्यारे हैं..‘लीक पर वे चलें जिनके चरण दुर्बल और हारे हैं हमें तो जो हमारी यात्रा से बने ऐसे अनिर्मित पंथ प्यारे हैं..’Sep 25, 20162Sep 25, 20162