RAHUL KUMARख्वाबों की दुनियाख़्वाबों में जो देखि थी दुनिया, वो दुनिया कितनी हसीन थी शांति थी चारो ओर खुशियां ही हर जगह बिखरी थीSep 20, 2016Sep 20, 2016
RAHUL KUMARकाश !!!देखता हूँ अक्सर खिड़की से, कुछ कोयल दाना चुगती हैं फुदक फुदक कर चुगते चुगते फिर वो सब उड़जाती हैं काश मैं भी उड़पाता, रंग आसमान के देखपाता…Sep 14, 2016Sep 14, 2016
RAHUL KUMARफिर से सोच जराक्यों भागता है तू, सबके ख़्वाबों के पीछे तूने भी तो देखे थे कुछ ख्वाब, लक्ष्यों को खींचे कहीं भटक तो नही गया तू, सबको खुश करने में? या चुन…Sep 14, 2016Sep 14, 2016
RAHUL KUMARख़ुशी जिसे कहते हैंख़ुशी जिसे कहते हैं, वो चीज ढूंढता हूँ गैरों की इस दुनिया में अपनों को ढूंढता हूँ अकेला तो न था पहले कभी इतना साथ चले थे जो उन क़दमों को…Sep 3, 2016Sep 3, 2016