कौन जाने कौन किस से जूझ रहा है,क्यूँ किसी को भला बुरा कहा जाए!
मेरा मानना है जब तक घर ना मिले,तब तक बस सफ़र में ही रहा जाए!
क्यूँ दिन रात मेहनत करता रहता हूँ,क्यूँ इच्छाओं का इतना भार सहा जाए!
हफ़्तों की चुप्पी के बादकुछ ख़त भेजे हमने आज
जीत का हुनर भले अपने खून में रखो,लेकिन इश्क़ अगर हो तो हार जाना चाहिए।
तितलियाँ पकड़ती है, उनमें अपने सारे रंग भरती है,संवर जाता हूँ मैं, जब भी मुझे वो तंग करती…
मैं बहुत पढ़ता था, मैंने पढ़ना ही छोड़ दिया,तुझे अब शब्दों में, गढ़ना ही छोड़ दिया।