अब कौन आता है किसी के बुलाने से,मातम नहीं होता अब किसी के जाने से।
बातचीत का अन्दाज़ मोड़ देती हैजहाँ जहाँ से टूटा हूँ जोड़ देती है
घुटन, दबिश, क़ैद, बंदिशेंक्या ज़िंदगी भर यही गीत गाऊँ मैं
हफ़्तों की चुप्पी के बादकुछ ख़त भेजे हमने आज