Aajkal ki Language

करन
हिन्दी लेख Hindi Lekh
3 min readSep 8, 2014

(रोमन लिपि संस्करण)

हिन्दी — या हिन्दुस्तानी—बहुत तेज़ी से बदल रही है और ज़्यादातर प्रभाव अंग्रेज़ी की ओर से आ रहा है। अंग्रेज़ी से अब हज़ारों लोनवर्ड हिन्दी में बहते चले आ रहे हैं शायद उसी तरह जिस तरह कुछ सदियों पहले फ़ारसी और फ़ारसी द्वारा अरबी और तुर्की के अल्फ़ाज़ दाख़िल हुए थे। तो ज़ाहिर है कि इसमें कोई बड़े ताज्जुब की बात नहीं है।

मैंने हाल ही में एक विडियो देखा जो फ़नी तो था ही और-तो-और उस एक ही विडियो में हिन्दी के बदलाव के इतने सारे पहलू देखने को मिल गये कि मुझे लगा इस विडियो द्वारा ही इस विषय पर चर्चा करनी चाहिये। अगर आपको इसे देखने का मौक़ा नहीं मिल पाया है तो पहले एक बार देख लीजिये :–

https://www.youtube.com/watch?v=m-GK8hgfWKc

“Yeh Twitter Kya Hota Hai?”

विडियो के कॉंटेंट और मॅटाडेटा के बीच साफ़ लाइन खिंची हुई है। इस विडियो का कॉंटेंट हिन्दी में है — लिखित रूप में रोमन में — और मॅटाडेटा इंग्लिश में।

“Tech Conversations with My Dad” (नीचे जो हिन्दी में दिख रहा है वह इसलिए है क्योंकि मैंने YouTube की सेटिंग्ज़ में हिन्दी चूज़ की हुई है)
“Conversation 1 – Yeh Twitter Kya Hota Hai?”

फ़ोन की भाषा अंग्रेज़ी है यानी फ़ोन की स्क्रीन पर जो भी कुछ लिखा हुआ आता है वह सब अंग्रेज़ी में है। इसमें कोई हैरानी की बात तो नहीं है पर दूसरे देशों से तुलना की जाये तो चीन, जापान, जर्मनी, थाईलैंड आदि जैसे देशों में आमतौर पर स्थानीय भाषा में ही सॉफ़्टवेयर इस्तेमाल किया जाता है।

“Went to Lakshminarayan Mandir”

जब इस विडियो में बेटा बाप को ट्वीट का नमूना बता रहा था तो उसने हिन्दी बोलते बोलते जब ट्वीट के कॉंटेंट के बारे में बात की तो वह उसने इंग्लिश में बताया :–

“आप वो ट्विटर पे पोस्ट कर दीजिये कि
‘Went to Lakshminarayan Mandir for Aarti’
तो मुझे पता चल जायेगा।” (लिंक)

“One-Forty Characters Limit”

“वही है कि one-forty characters limit है इसमें” (लिंक)

बड़े नंबरों के साथ-साथ फ़ोन नंबर, पासपोर्ट नंबर आदि अक्सर इंग्लिश में ही बोले जाते हैं।

अब हिन्दी के नंबरों का इस्तेमाल किस हद तक बंद हो गया है यह तो कहना मुश्किल है पर मेरे लिए यह आश्चर्यजनक बात नहीं है। ऐसे हिन्दी बोलने वालों की तादाद बढ़ती जा रही है जिन्हें ४० से ऊपर के नंबरों को हिन्दी में बोलने में और कभी-कभी पहचानने में भी दिक़्क़त होती है और इंग्लिश के नंबर हिन्दी के मुक़ाबले बहुत ज़्यादा आसान माने जाते हैं।

तो?

“तो” कुछ नहीं।

फ़िल्हाल इस आर्टिकल के ज़रिये मैं केवल इस बदलाव के जंगल में टॉर्च चमकाने का काम कर रहा हूँ। हाँ जो बदलाव हो रहा है उस पर मेरे बहुत सारे विचार ज़रूर हैं और कुछ बदलाव मुझे पसंद हैं और कुछ नापसंद। उनकी बात बाद में की जायेगी।

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