किसी शायर का नाम आते ही ज़ेहन में दो तरह के अक्स उभरते हैं। या तो बेहद संभ्रांत बहुत…
‘लीक पर वे चलें जिनके चरण दुर्बल और हारे हैं हमें तो जो हमारी यात्रा से बने ऐसे अनिर्मित पंथ…