कुछ कहना है तुमसे जो. शायद तुम्हे पता है , तो क्यों इकरार नहीं करती हो ?
मेरी आँखों में देख कर एक बार कह दो की तुम मुझसे प्यार नही करती हो
तुम्हारे एक एक बात को लाखों बार पढ़ा है मैंने
इस भीड़ भाड़ की ज़िन्दगी में , कोई तन्हा. ही. रह जाता है
हर मज़ाक को हँस कर कोई हर बार नहीं सुन पाता. है
दो लब्ज़ प्यार के ढूंढने को जो तरसता है उसका भी मन
सुनाई नहीं परती जो तुमको वो गीत अकेला गाता. है