वो रोशनियों से डरता था, दस साल…
आज ईमेल और सोशल मीडिया के दौर में पैग़ाम तो मिलते हैं लेकिन ख़त की तरह न हाथ की ख़ुशबू आती…
लाई हयात आये कज़ा ले चली चले ,अपनी ख़ुशी न आये ,न…
‘मीर’ के शेर का…