नारी क्या हो तुम,
ओस की पहली बूंद, सूरज की पहली किरण,
मंदिर से आती ध्वनि या वन में विचरता हिरन,
कभी झरनों सी तुम चंचल हो, कभी झीलों सी तुम स्थिर हो,
यादों के झरोखे से, मन में है कोई आता
आँखों में नमी दे कर, न जाने कहाँ वो छुप जाता
सपनो के अम्बर पर, आता है वो उड़ कर
जब देखूं उसे मै तो, तारों की तरह है वो भाता
वो बचपन कितना प्यारा था, कितने स्वप्न सुहाने थे,
चंदा, सूरज, सारे तारे, सब हमको अपनाने थे,
दूरी का अंदाजा न था, रास्तों से अनजाने थे,
ना जाने कितने ही मतलब दुनिया को समझाने थे,