जब हक़ीक़त में सब कुछ आधा अधूरा है
तो कहानियों का पुरा होनी क्यों ज़रूरी है
लिखने दो आधा अधूरा ही
हमारी ज़िंदगी की तरह,
जो तुम आख़िरी बार कह के मिले हो
क्या वो मुझे याद करता होगा
एक अरसे बाद जब तुम मिलोगेक्या तुम गले लगोगे?या कुछ दूरी से ही मुस्कुरा के hello बोलोगे?
Bangalorean हैं हम,
Road छोटी है पर दिल बड़ा है
ना जाने कब,
तुम्हारा कुछ रह गया है३१ जुलाई की वो रातजब हम आख़िरी बार मिले थेतुमने अपने सारे समान समेट लिय थेऔर निकल गये थे इस…
एक अधूरा सा प्यार मुझे भी हुआ था,
ज़िंदगी तू बड़ी ख़ूबसूरत है
शायद मेरी ही ग़लती थीहर बार तुम दिल तोड़ जाते थेऔर हर बार मैं यूँही जोड़ लेती थीवादे तोड़ जाना,ये तो आदत थी…