माँ दुर्गा अर्पण
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१
माँ दुर्गा अवतरित हुईं — ब्रह्मांड शक्ति।
माँ दुर्गा हैं बहु-आयामी परम शक्ति॥
२
देवों में निहित शक्तियों की परिणति।
निर्माण, संरक्षण, विनाश के पीछे शक्ति॥
३
अजेय माँ दुर्गा — बुराई, पीड़ा नष्ट करतीं।
क्रोध, लोभ, वासना, अहंकार, अभिमान मिटातीं॥
४
उनके शत्रु नाश होते बढ़ती शक्ति।
सत्ता, संपत्ति, आत्म-महत्वता, खुशी॥
५
ब्रह्मा, विष्णु, शिव बनाये दुर्गा शक्ति।
पूर्ण दुर्गा — काली, लक्ष्मी, सरस्वती॥
६
महाकाली तामसिक से दिलाये मुक्ति।
राजसिक से मुक्ति दिलाये महालक्ष्मी॥
७
सात्विक से मुक्ति दिलाये महासरस्वती।
महिसासुर वध लिए दुर्गा उत्पन्न हुयीं॥
८
महिसासुर हर क्षण हर व्यक्ति में विराजें।
जो ज्ञान, शक्ति से व्यक्ति भ्रमित होजाये॥
९
सांसारिक बुराइयों से भक्तों की रक्षा करें।
और एक ही क्षण में उनके सब दुख हर लें॥
१०
तामसिक राजसिक सात्विक सब छोड़।
मोक्ष मिले — यही जीवन का अंतिम मोड़॥
११
माँ दुर्गा चरण कमलों मे।
अर्पित मुनीन्द्र पुष्प श्रद्धा के॥
॥ॐ॥