श्री गणेश अर्पण
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॥ॐ श्री गणेशाय नमः॥
१
शिव पार्वती के पुत्र दुलारे।
कार्तिकेय के भाई निराले॥
२
दोनो बचपन प्रतियोगी प्यारे।
विघ्नहरण सबके न्यारे॥
३
प्रारंभिक कार्य उनसे पायें।
विवेक प्राप्ति उनसे आये॥
४
उनका आशीष विघ्न हटाये।
अक्षर प्रारम्भ उनमें भाये॥
५
शिव जेष्ठ पुत्र ज्ञान सधायें।
विनायक विघ्नहरण विघ्न हटायें॥
६
उनकी भक्ति हर कार्य कराये।
उनका आशीष शुभ मुहूर्त लाये॥
७
चार हाथ और प्यारी तोंद बढ़ाये।
एक में रस्सी — सच्चा मार्ग दिखाए॥
८
कुल्हाड़ी मोह काटे लड्डू फल देवे।
चौथा भक्तो पर आशीष बरसाये॥
९
हाथी का सर चूहे की सवारी होये।
ज्ञान, बुद्धि, विवेक उनमें विराजें॥
१०
श्री गणेश लेख जो विश्व में भाये।
गणेश पुराण गणपति सजाये॥
११
श्री गणेश चरण कमलों मे।
अर्पित पुष्प मुनीन्द्र श्रद्धा के॥
॥ॐ॥
©मुनीन्द्र मिश्रा