एक साधारण शक्ल की हैसियत क्या जो सोच सके?
“इस समाज को तो देखना भी नहीं आता. मेरी सूरत देख, मेरी किस्मत पढ़ने की बात करते हैं.
कामयाबी मिलने पर भी, सूरत की बात करते हैं. कहते हैं की मेरी लग्न रंग लाई है, मुझ में अदाकार बनने जैसे कुछ भी ख़ास नही था”.