[अगस्त 2011]
कुछ अतिप्रश्न हाइकु के रूप में. हाइकु कविता कहने का एक जापानी कायदा है. इसमें 3 पंक्तियां होती है…
[2006] — ये कविता उन शोषित नारियों के कृन्दन को महसूस करने का एक प्रयास है, जिनका जीवन पुरुष प्रधान रूढ़िवादी समाज के हाथ की कठपुतली…
[फ़रवरी 2010]
तुम चाँद के पिछले हिस्से सी,भूले-बिसरे से किस्से सी,बीते हुए इक अरसे सी,कारे बादर बिन बरसे सी,तुम ख़ुद…
[कारगिल युद्ध के दौर में ]
बैठा था निशब्द, निर्वाक कि तभी एक हुंकार सुनी,‘युद्धक्षेत्र में जाना तुमको’- उसने एक पुकार…
[मार्च 2008]
मुस्कुरा ही पड़ा था वो.
[नवम्बर 2012]
पिछले नवम्बर में मैंने और एक मित्र राम्या ने जागा, बैंगलोर में एक काव्यात्मक जुगलबंदी…
[मई 2008]
[अगस्त 2017]
हमारे बुज़ुर्ग गुज़रते हैं तो किताब बन जाते हैंकिसी कोर्स की किताब नहीं!पैसा कमाने की, भौतिकी…
[अक्टूबर 2010]
लोग काले और सफ़ेद में सोचते हैं,पर सब नहीं- कुछेक और रंगों में भी सोच लेते हैं,लाल, हरे, नीले… मोम के कलर…
[अक्टूबर 2023]
तुम मुझे सपनों में मिलोज़मीन बहुत ऊबड़ — खाबड़ हैढर्रा ढर्रा जीवन है. घड़ी की हथकड़ी है.ऐसे सपने में…