मुमुक्षुता की भूमिका — भाग 3/3
श्रीमद् राजचंद्रजी ने अपने काव्य ‘इच्छे छे जे जोगिजन’ में मुमुक्षुता की तीन भूमिकाएँ लिखी है। उन्हीं तीन भूमिकाओं के लक्षणों को समझाते हुए श्री बेन प्रभु इन ३ लेखों की शृंखला से हमें कुछ महत्वपूर्ण शब्द समझाते हैं । यह लेख तीसरी भूमिका पर आधारित है।