सुबह का भूला, जो वापस न आया….
सन १९८४ की बात है. बाबा का ट्रांसफर बॉम्बे से नासिक हुआ था, और हम सब नासिक चले गए. नया शहर, नया स्कूल, नए दोस्त, सबकुछ नया. दो पुराने साथी साथ आये थे, मेरा क्रिकेट और हमारा ‘भारत ‘ ब्लैक एंड वाइट टी वी. टी वी बस मैच देखने के काम में आता था , बाकी खाली समय घर के सामने वाली सड़क पर टेस्ट मैचेस…