अश्रुपूर्ण नैनो से देती मां मैं तुझे विदाई तेरे बिन इस रिक्त जगह की ना होगी भरपाई, रस्मों में बंध तूने मुझको दूर देश है ब्याहा पास…
कभी तो मुझसे बात करोगीकभी तो मेरे साथ चलोगी,सुख सुविधा का लगा है मेलाफिर भी हूं मैं निपट अकेला,किस से मन की बात कहूं मैंतुम बिन किससे आस…
शैल के शोभित शिखर से उतरी संध्या सुंदरी सी,नील नभ पर फैलती है तारों की एक फुलझड़ी सी,शुभ्र ज्योति से सुसज्जित चांदनी है मोहिनी सी, खिल…
दंश शूल का बड़ा सघन थाघायल पूरा अंतर्मन था,पीड़ित तन अवशोषित मन परभारी नश्तर चुभा हुआ था,कही-अनकही बातें लेकर भूली बिसरी यादें…
देख सुनहरी अपनी फसलें मन किसान का पुलक उठा है,उसके अथक परिश्रम का अब विधना ने प्रतिदान दिया है,इसे बेच कर इसी वर्ष मैअब…
तुकबंदी में शान बहुत है कवि छोटा है ज्ञान बहुत है चाहे जैसा जो लिखवा लो शोहरत और सम्मान बहुत है
सोच-समझकर बहुत जिया हैजतन यतनभी खूब किया है, इस उजलीचादर पर मैंने एक दाग़भी भी नहीं दिया है,घर संसार संभाला है…
प्रकृति तू रहती क्यों मौनतेरी धरती तेरा व्योम प्रकृति तू रहती क्यों मौन तेरा पर्वत तेरी घाटी सूरज पानी तेरी थाती तेरा ही है सुंदर सोम…
बरस गए पानी से खाली, बदली सीनुचे हुए पंखों से घायल तितली सी जीवन की आपाधापी में खाली हुई, नकली सी अभावग्रस्त निस्पंद शुष्क दुबली सी वह काया…
अभी तो सूरज ढ़ला नहीं है,अभी तो मानुष थका नहीं है,अभी से इतनी दुविधा क्यों हैअभी तो पथ का पता नहीं है |