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हम स्वर्णिम पन्नों पर लिखा नहीं करते, हम लिखकर पन्नों को स्वर्णिम बना दिया करते हैं।
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उम्मीदें
उम्मीदें
बड़े ठोस मन सा खड़ा है, इंसान उम्मीद से भरा है।
Kritika Mehta
Jul 4
शुरुआत
शुरुआत
आज यह शहर अलग सा है
angelism
Apr 10
खेत, खेजड़ी और कमेड़ी
खेत, खेजड़ी और कमेड़ी
Rajasthani Kavita: म्हारी कविता भोळी कमेड़ी है… | A Rajasthani Ghazal by Rajendra Nehra
Rajendra Nehra
Feb 14
डेढ़ कहानी
डेढ़ कहानी
Photo by Zagranyasha on Unsplash
angelism
Sep 21, 2023
एक और कहानी
एक और कहानी
Photo by whereslugo on Unsplash
angelism
Aug 15, 2023
Latest
कायर हूँ मैं
कायर हूँ मैं
किनारे खड़े हो कर सोचती हूँ पानी कैसा होगा ? कश्तियों को देख सोचती हूँ लहर कैसी होगी ? रेत में गुम ना जाऊँ पैर सिकोड़ लेती हूँ
angelism
Apr 19, 2023
कविता - प्रेम और प्रतीक्षा
कविता - प्रेम और प्रतीक्षा
प्रेम और प्रतीक्षा
Kuldeep Singh Bhati
May 29, 2022
नववर्ष विशेष कविता
नववर्ष विशेष कविता
जब भी कोई कहता है कि
Kuldeep Singh Bhati
Dec 29, 2021
शोर
शोर
घर के सन्नाटे मे,
angelism
Nov 13, 2021
90s
90s
सामान्य सा समय था
angelism
Nov 13, 2021
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