अगर मज़हब खलल -अंदाज़ है मुल्की मक़ासिद मेंतो शैख़ ओ बरहमन पिन्हा…
हैदराबाद में मख़दूम की प्रसिद्धि का आलम ये था कि डा० ज़ीनत साजिदा जो उस्मानिया…
वो रोशनियों से डरता था, दस साल…
लाई हयात आये कज़ा ले चली चले ,अपनी ख़ुशी न आये ,न…
‘मीर’ के शेर का…
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