अगर मज़हब खलल -अंदाज़ है मुल्की मक़ासिद मेंतो शैख़ ओ बरहमन पिन्हा…
लाई हयात आये कज़ा ले चली चले ,अपनी ख़ुशी न आये ,न…
‘मीर’ के शेर का…