नदियों से आती हैं बाढ़ेँ,खेत खलिहान सूखे ही रह जाते हैं!जब तलक देखो समुन्दर भरा ही भरा है,पर ये कबूतर प्यासे ही रह जाते हैं!
एक ख़्याल काफ़ी है तुम्हारा,मेरी नींद उड़ाने के लिए. शायद बाँहों में भर लिया होगा,झुका कर मेरा चेहरा गर्दन पर होंठ…