अश्रुपूर्ण नैनो से देती मां मैं तुझे विदाई तेरे बिन इस रिक्त जगह की ना होगी भरपाई, रस्मों में बंध तूने मुझको दूर देश है ब्याहा पास…
शब्द भाव की नहीं है मंदी मुक्तक दोहे में है सन्धि, सिर पर रख हिंदी की बिंदी प्रस्तुत है मेरी तुकबंदी |
भावों और शब्दों का मिलन शब्दों का सुंदर संकलन पाठक द्वारा हृदय से अनुमोदन आलोचक का न्यायिक आकलन कवि का सात्विक का आचरण |